मंदिर की स्थापना :- उज्जैन का यह मंदिर 11 – 12 वीं का बना हुआ है । इस मंदिर की स्थापना राजा परमार द्वारा कराई गई थी। मंदिर के गर्भ गृह में गणेश जी की स्वयंभू मूर्ति है । अवंतिका उज्जैनी के दक्षिण में श्री चिंतामय गणेश ख्याति प्राप्ततस्था प्राप्त स्थान है। यहां गणेशजी की तीन प्रतिमा है। यह एक शीला मेंं है।
भगवान श्री गणेश के अलग अलग नाम :- श्रे चिंतामय गणेश , श्री इच्छामन गणेश, श्री सिद्धिविनाायक गणेश।
पौराणिक कथाएं :- इनकी स्थापना भगवान श्रीी रामचंद्रजी जब वन में आए थे, तब की गई थी।प्रतिमा पर सिंंदूर लेप किया जाता है।भगवान गणेशजी के दाई ओर बाई तरफ रिद्धि-सिद्धि की मूर्ति है। यह एक तीर्थ कुंड है, जिसे राम भ्राता अनुज लक्ष्मण द्वाराााा निर्मित किया गया। कहा जाता है कि जब माताा सीता को प्यास लगी तब लक्ष्म्मण जी ने बाण से यह कुण्ड खोद दिया था। जिसको बाण गंगा कहते है।
चिंतामय गणेश :- ऐसी किंवदंती है की यह गणेशजी का स्थान भगवान राम, सीता व लक्ष्मण द्वारा अभिषेक पूजित स्थापित स्थान है। यह तेरहवीं शताब्दी का परमार वंशज द्वारा पुनः निर्माण किया गयाा है। रानी अहिल्याबाई होलकर इंदौर द्वारा भी पुनर्निर्माण किया गया।
गणेश मंदिर पर्व महोत्सव :- चैत्र मास के प्रत्येक बुधवार को यहां यात्रा पर वह होता है। यह उज्जैन नगर मेंं लगभग 6 किलोमीटर दूर है। यहां श्रद्धालुओंं का तांता लगा रहता है। प्रतिवर्ष 12 से 15 लाख श्रद्धालु दर्शन लाभ के लिए आते हैं।