ब्रेस्ट में दिखे ये बदलाव तो तुरंत करें डॉ. से संपर्क, बढ़ रहा कैंसर का खतरा

ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) दुनिया भर में महिलाओं में सबसे आम कैंसर में से एक है। कम उम्र की लड़कियाँ भी इस जानलेवा बीमारी की शिकार हो रही हैं। इसके कारणों और इलाज पर बहुत शोध हो रहे हैं। हाल ही में, यह पता चला है कि डेंस ब्रेस्ट होने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। मैमोग्राफी (mammography) के ज़रिए ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जाता है। लेकिन जिन महिलाओं के ब्रेस्ट डेंस होते हैं, उनके लिए मैमोग्राफी के ज़रिए कैंसर का पता लगाना मुश्किल होता है।  

ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए, 40 साल से ज़्यादा उम्र की महिलाओं को मैमोग्राफी करवाने की सलाह दी जाती है। हैरानी की बात यह है कि 45 साल से कम उम्र की 11% महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर हो रहा है। अगर कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में चल जाए, तो इसका इलाज (treatment) मुमकिन है। इसलिए, महिलाओं को सेल्फ-एग्ज़ामिनेशन और मैमोग्राफी के ज़रिए ब्रेस्ट कैंसर की जाँच ज़रूर करवानी चाहिए। कई बार, महिलाएं मैमोग्राफी करवाने के बावजूद भी कैंसर का पता नहीं चल पाता है। इसका कारण है ब्रेस्ट की डेंसिटी। मैमोग्राफी में ब्रेस्ट की डेंसिटी सफ़ेद रंग की दिखाई देती है। कैंसर की गांठ भी सफ़ेद रंग की ही दिखाई देती है। इससे कैंसर का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।   

अमेरिका (United States) अब ब्रेस्ट के साइज़ और ब्रेस्ट कैंसर के प्रति गंभीर कदम उठाने जा रहा है। मैमोग्राफी करवाने वाली हर महिला को अब इस रिपोर्ट के साथ ब्रेस्ट डेंसिटी की रिपोर्ट भी दी जाएगी। ब्रेस्ट डेंसिटी का मतलब है कि महिला के ब्रेस्ट में फैट टिश्यू के मुकाबले कितना फाइब्रोग्लैंडुलर टिश्यू है। ज़्यादा फाइब्रोग्लैंडुलर टिश्यू होने पर ब्रेस्ट का साइज़ बड़ा होता है। अमेरिका में 40 साल से ज़्यादा उम्र की आधी से ज़्यादा महिलाओं के ब्रेस्ट डेंस होते हैं। जल्द ही, मैमोग्राफी करवाने वाली अमेरिकन महिलाओं को अपनी ब्रेस्ट डेंसिटी के बारे में भी जानकारी मिलेगी। अगर उन्हें पता चलता है कि उनकी ब्रेस्ट डेंसिटी ज़्यादा है, तो वे इस बारे में ज़्यादा सावधानी बरत सकती हैं। साथ ही, वे ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के दूसरे तरीके जैसे कि अल्ट्रासाउंड और एमआरआई भी करवा सकती हैं। अल्ट्रासाउंड और एमआरआई में उन कैंसर सेल्स का पता चल सकता है, जो मैमोग्राफी में नहीं दिखाई देते हैं।

कुछ महिलाओं को, जिनके ब्रेस्ट डेंस थे, उन्हें पहले ही इस तरह का अनुभव हो चुका है। उनकी मैमोग्राफी में कैंसर सेल्स का पता नहीं चला था। उनके ब्रेस्ट का साइज़ बड़ा था। उन्हें ब्रेस्ट में गांठ भी महसूस हो रही थी। लेकिन मैमोग्राफी करने वाले डॉक्टर ने कहा कि उन्हें कोई गांठ नहीं दिखाई दे रही है। बाद में, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड के ज़रिए इसका पता चला।

ऐसे मामलों को देखते हुए, अमेरिकी सरकार ने अब ब्रेस्ट डेंसिटी रिपोर्ट देना अनिवार्य कर दिया है। जिन महिलाओं की ब्रेस्ट डेंसिटी ज़्यादा होगी, वे दूसरी जाँच करवाकर कैंसर के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकेंगी। महिलाओं के लिए ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक होना बहुत ज़रूरी है। अगर उन्हें अपने ब्रेस्ट में ज़रा भी बदलाव दिखाई दे, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। उन्हें सेल्फ-एग्ज़ामिनेशन के साथ-साथ मैमोग्राफी भी करवानी चाहिए।

​ब्रेस्ट कैंसर की पहचान क्या है

    स्तन या ब्रेस्ट कैंसर का पहला लक्षण महिलाओं के स्तन में दर्द रहित एक गांठ होना है। यह ब्रेस्ट कैंसर का सबसे आम लक्षण है, जिस पर महिलाओं का कभी ध्यान नहीं जाता।
    निप्पल में खून जैसा पानी या डिस्चार्ज होना।
    निप्प्ल का बाहर की जगह स्तन के अंदर धस जाना
    निप्पल पर दाद या रैशेज होना
    स्तन के आकार में बदलाव होना ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हैं। विशेषज्ञ के अनुसार, अगर एक हफ्ते के अंदर किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर डायगनोज होता है, तो उसकी जांचें पूरी हो जाती हैं।

​ब्रेस्ट कैंसर का इलाज

ब्रेस्ट कैंसर में आमतौर पर कीमोथैरेपी, सर्जरी, सर्जरी, रेडियोथैरेपी, टारगेटेड थैरेपी, हार्मोनल थैरेपी , एंडोक्राइन थैरेपी, इम्यूनो थैरेपी से इलाज किया जाता है। डॉ जामरे कहती हैं कि सर्जरी करने का मतलब यह नहीं कि सभी ब्रेस्ट कैंसर के मरीज का ब्रेस्ट निकाल दिया जाएगा। अगर महिलाएं शुरूआती स्टेज में इस पर ध्यान दें , तो सही इलाज करके ब्रेस्ट बचाया भी जा सकता है। उनके अनुसार, सभी मरीजों में सभी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती। मरीज की बीमारी की गंभीरता, स्टेज, उम्र , बायोलॉजिकल प्रोफाइल और मरीज के इलाज के सहन करने की क्षमता के आधार पर इलाज तय किया जाता है।

​ब्रेस्ट कैंसर से कैसे बचें

100 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर का बचाव करना असंभव है। लेकिन जीवनशैली में बदलाव करके ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।

    हर महिला को हफ्ते में 4 दिन तक 20-30 मिनट फिजिकल एक्सरसाइज करनी चाहिए।
    इसके साथ ही डाइट पर ध्यान दें। डाइट ऐसी हो जिससे न तो मोटापा बढ़ें और न ही ये बहुत ज्यादा शुगर और फैट युक्त हो। डाइट में फल और सब्जी की मात्रा को संतुलित रूप से लें।
    महिलाओं को हर महीने अपने स्तन की जांच खुद कैसे कर सकते हैं, यह सीखना चाहिए। ऐसा करने से अगर वह स्तन में कुछ बदलाव महसूस करती है, तो तुंरत डॉक्टर से इस बारे में चर्चा कर सकती है।
    महिलाओं को चाहिए कि ब्रेस्ट कैंसर डायगनोज होने के बाद तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, लापरवाही न बरतें। इससे समय पर इलाज किया जा सकता है और फिजूल का पैसा खर्च होने से भी बचाया जा सकता है।

​ब्रेस्ट कैंसर का खतरा किन महिलाओं को ज्यादा है

    जिन महिलाओं में मोटापा होता है
    कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं
    मेनोपॉज में देरी
    जिन्हें बच्चा पैदा करने में मुश्किल आती है
    जो महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती।
    बिना डॉक्टर की सलाह के हार्मोन्स का सेवन करती हैं
    धूम्रपान करने वाली महिला या फिर शराब का सेवन करने वाली महिलाएं
    लगभग 5-10 प्रतिशत महिलाओं में यह कैंसर अनुवांशिकी होता है

मृत्युदर के जोखिम को कम करने के लिए महिलाओं को कैंसर के लक्षणों के प्रति जागरूकता और स्क्रीनिंग की जरूरत है। डॉक्टर कहती हैं कि शुरूआती स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर के मरीज सौ प्रतिशत तक ठीक हो सकते हैं और अपना सामान्य जीवन जी सकते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण क्या हैं

शुरुआत में ब्रेस्ट कैंसर एसिम्पटोमेटिक यानि कि लक्षणहीन हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण(Symptoms of Breast Cancer) ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार पर भी निर्भर करते हैं। हालांकि इस कैंसर का सबसे आम संकेत गांठ होता है। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि हर गांठ का मतलब कैंसर नहीं होता है। यहां हम स्तन कैंसर के कुछ लक्षण बता रहे हैं:

    स्तन में कठोर ‘गांठ’ महसूस होना। आमतौर पर ये गांठ दर्द रहित होती हैं।

    निप्पल से गंदे खून जैसा तरल पदार्थ निकलना

    स्तन के आकार में परिवर्तन होना

    अंडरआर्म में गांठ या सूजन आना

    निप्पल का लाल होना, आदि।

हालांकि, ये लक्षण ब्रेस्ट कैंसर (breast cancer symptoms in hindi)  के अलावा किसी और बीमारी के भी हो सकते हैं। इसलिए इस तरह के संकेत दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें और जरूरी जांच करवाएं।

ब्रेस्ट कैंसर की कितनी स्टेज होती हैं

जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि इस कैंसर के विभिन्न चरण हैं। ट्यूमर के आकार और उनके प्रसार के आधार पर चरणों को विभाजित किया जाता है-

    स्टेज 0- इस स्टेज में कैंसर सेल्स ब्रेस्ट के डक्ट के बाहर नहीं फैलती हैं। यहां तक कि स्तन के बाकी हिस्सों में भी नहीं पहुंचती हैं।

    स्टेज 1- इस स्टेज (stages of breast cancer in hindi) में ट्यूमर 2 सेंटीमीटर से अधिक चौड़ा नहीं होता है और लिम्फ नोड्स भी प्रभावित नहीं होते हैं। लेकिन कैंसर सेल्स साइज में बढ़ना शुरू कर देती हैं जो स्वस्थ सेल्स को प्रभावित करने लगती हैं। हालांकि, उनका आकार 0.2 मिमी से 2 मिमी के बीच होता है। कुछ मामलों में इनका आकार 2 मिमी से बड़ा भी हो सकता है।

    स्टेज 2- इस स्टेज में ब्रेस्ट कैंसर अपने साइज से बढ़कर अन्य हिस्सों तक फैलना शुरू कर देता है। इस स्टेज में ऐसा भी हो सकता है कि यह बढ़कर अन्य हिस्सों तक फैल चुका हो।

    स्टेज 3- ब्रेस्ट कैंसर की यह स्टेज (stages of breast cancer in hindi) सीरियस हो जाती है। इस स्टेज में कैंसर हड्डियों या अन्य अंगो तक फैलना शुरू कर देता है। इसके अलावा बाहों के नीचे 9 से 10 लिंफ नोड में और कॉलर बोन में इसका छोटा हिस्सा भी फैल सकता है।

    स्टेज 4- इस स्टेज में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है और कैंसर कोशिकाएं शरीर के किसी भी हिस्से जैसे कि लिवर, हड्डी, गुर्दे और दिमाग तक फैल सकती है।

 

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