प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार देश के दूर-दराज के इलाकों में लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है और उनमें से कई लोगों को पहली बार सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अधिकांश कारीगर दलित, आदिवासी, पिछड़े समुदायों से हैं या महिलाएं हैं और उन तक पहुंचने तथा उन्हें लाभ प्रदान करने के लिए एक व्यावहारिक रणनीति की आवश्यकता होगी।
मोदी ने शनिवार को ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ पर बजट पश्चात वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि वंचित लोगों तक पहुंचने के लिए एक समयबद्ध मिशन मोड में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य कारीगरों और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों की मदद करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे कारीगर स्थानीय शिल्प के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना उन्हें सशक्त बनाने पर केंद्रित है। योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करते हुए उनका विकास करना है। भारत की विकास यात्रा के लिए गांव के हर वर्ग को उसके विकास के लिए सशक्त बनाना आवश्यक है। देश के विश्वकर्माओं की जरूरतों के अनुसार अपने कौशल बुनियादी ढांचे को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है।
कारीगरों और शिल्पकारों को मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनने पर मजबूत किया जा सकता है।
यह वेबिनार केंद्रीय बजट 2023-24 में घोषित पहलों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आयोजित 12 बजट पश्चात वेबिनार की श्रृंखला का अंतिम है।
उन्होंने कहा कि बढ़ई, लुहार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री और कई अन्य कारीगरों के कई वर्गों की उपेक्षा की गई, जबकि यह समाज के अभिन्न अंग है तथा समाज के मजबूती में योगदान देते हैं। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि इस कुशल कार्यबल को लंबे समय तक उपेक्षित किया गया था और गुलामी के लंबे वर्षों के दौरान उनके काम को गैर-महत्वपूर्ण माना गया था। भारत की स्वतंत्रता के बाद भी उनकी बेहतरी के लिए सरकार की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया और परिणामस्वरूप, कौशल एवं शिल्प कौशल के कई पारंपरिक तरीकों को परिवारों ने छोड़ दिया ताकि वे कहीं और जीवन यापन कर सकें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस श्रमिक वर्ग ने सदियों से पारंपरिक तरीकों का उपयोग करने के अपने शिल्प को संरक्षित किया है और वे अपने असाधारण कौशल एवं अनूठी रचनाओं के साथ अपनी पहचान बना रहे हैं। कुशल कारीगर आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के प्रतीक हैं और हमारी सरकार ऐसे लोगों को नए भारत का विश्वकर्मा मानती है। उन्होंने बताया कि पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना विशेष रूप से उनके लिए शुरू की गई है, जहां गांवों और कस्बों के उन कुशल कारीगरों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो अपने हाथों से काम करके अपना जीवनयापन करते हैं।
गांधी जी की ग्राम स्वराज की अवधारणा का जिक्र करते हुए मोदी ने कृषि के साथ ग्रामीण जीवन में इन व्यवसायों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत की विकास यात्रा के लिए गाँव के हर वर्ग को उसके विकास के लिए सशक्त बनाना आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से स्ट्रीट वेंडर्स को लाभ के समान, पीएम विश्वकर्मा योजना से कारीगरों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा की जरूरतों के मुताबिक स्किल इंफ्रास्ट्रक्चर सिस्टम को री-ओरिएंट करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने मुद्रा योजना का उदाहरण दिया, जहां सरकार बिना किसी बैंक गारंटी के करोड़ों रुपये का कर्ज मुहैया करा रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना को हमारे विश्वकर्मा को अधिकतम लाभ प्रदान करना चाहिए और विश्वकर्मा साथियों को प्राथमिकता पर डिजिटल साक्षरता अभियान की आवश्यकता का भी उल्लेख किया।
हाथ से बने उत्पादों के निरंतर आकर्षण का उल्लेख करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि सरकार देश के प्रत्येक विश्वकर्मा को समग्र संस्थागत सहायता प्रदान करेगी। यह आसान ऋण, कौशल, तकनीकी सहायता, डिजिटल सशक्तिकरण, ब्रांड प्रचार, विपणन और कच्चे माल को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा, “योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को बनाए रखते हुए उन्हें विकसित करना है।”
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि ग्राहकों की जरूरतों का भी ध्यान रखा जा रहा है क्योंकि सरकार न केवल स्थानीय बाजार, बल्कि वैश्विक बाजार पर भी नजर रख रही है।