उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद में बार-बार होने वाले व्यवधान और गड़बड़ी पर शनिवार को गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि लोकतंत्र के मंदिर बहस, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए होते हैं और सदस्यों का व्यवहार अनुकरणीय होना चाहिए।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित आयुर्वेद महासम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “ लोकतांत्रिक मूल्य बहुत महत्वपूर्ण हैं। हम लोकतंत्र के सिद्धांतों का अपमान नहीं होने दे सकते, क्योंकि हम न केवल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, बल्कि हम’ लोकतंत्र की जननी।”
धनखड़ ने महासम्मेलन में उपस्थित आयुर्वेदाचार्यों से कहा कि ऐसी दवा बनाइए कि घर की मर्यादा बनी रहे जो उनकी सबसे बड़ी पीड़ा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा, राज्यसभा और लोकसभा सहित लोकतंत्र के मंदिरों के सदस्यों का व्यवहार अनुकरणीय होना चाहिए।
उन्होने कहा, “ वह जगह बहस, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए है जहां कोई व्यवधान और अशांति नहीं होनी चाहिए। यह तभी रुकेगा जब आप ऐसे लोगों के खिलाफ खड़े होंगे, जो अशांति और व्यवधान पैदा करते हैं। हो सकता है कि आपको एक जन आंदोलन में शामिल होना पड़े तब ही शायद वे समझेंगे।”
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।