बायजू के खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू हुई, बीसीसीआई ने बायजू को एनसीएलटी में घसीटा

नई दिल्ली
 दिग्गज एडटेक कंपनी बायजू (Byju’s) मुश्किल में फंस गई है। कभी देश की सबसे वैल्यूएबल स्टार्टअप कंपनी रही बायजू की पेरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न (Think & Learn) के खिलाफ एनसीएलटी (NCLT) ने दिवालिया कार्यवाही शुरू कर दी है। ट्रिब्यूनल ने बीसीसीआई (BCCI) की याचिका पर ऐसा किया है। बीसीसीआई ने कंपनी पर 159 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने का आरोप लगाया है। Byju’s के फाउंडर बायूज रविंद्रन इस समय विदेश में हैं। कंपनी ने 2019 में BCCI के साथ एक टाइटल स्पॉन्सरशिप डील की थी। लेकिन उसका बकाया नहीं चुकाया। बायजू ने इस मामले को मध्यस्थ के पास ले जाने की कोशिश की थी लेकिन NCLT ने इसे खारिज कर दिया।

NCLT ने इस मामले में पंकज श्रीवास्तव को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है। श्रीवास्तव लेंडर्स के साथ मिलकर कंपनी के लिए एक रेजॉल्यूशन एप्लिकेंट आवेदक की तलाश करेंगे। बायजू ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती देने की बात कही है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि हमारा मानना है कि BCCI के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से समझौता किया जा सकता है। हमारे वकील आदेश की समीक्षा कर रहे हैं और कंपनी के हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। बेंगलुरु की कंपनी बायजू कभी देश की सबसे वैल्यूएबल स्टार्टअप थी। इसकी वैल्यू एक समय 22 अरब डॉलर आंकी गई थी।

क्या है मामला

Byju’s ने साल 2019 में Oppo India की जगह टीम इंडिया का आधिकारिक प्रायोजक बनी थी। शुरुआती सौदे की अवधि सितंबर 2019 से मार्च 2022 तक थी। जून 2022 में, Byju’s ने BCCI के साथ अपने जर्सी स्पॉन्सरशिप एग्रीमेंट को नवंबर 2023 तक बढ़ा दिया था, जिसकी अनुमानित लागत $35 मिलियन थी। Byju’s दिसंबर 2022 से BCCI के साथ अपने समझौते को समाप्त करना चाहती था, जबकि बोर्ड चाहता था कि यह मार्च 2023 तक जारी रहे ताकि नए वित्तीय वर्ष से नए प्रायोजक आ सकें।

एनसीएलटी का यह फैसला बायजू के निवेशकों के लिए भी एक झटका है। Prosus जैसे कई निवेशकों ने अपने निवेश को पहले ही बट्टे खाते में डाल दिया है। अब कंपनी रेजॉल्यूशन एप्लिकेंट के हाथों में चली जाएगी। इसका प्रबंधन क्रेडिटर्स की एक समिति द्वारा किया जाएगा। इसमें मैनेजमेंट और शेयरधारकों की कोई भूमिका नहीं होगी। बायजू को कर्ज देने वाले बैंकों को अपने बकाये की वसूली के लिए समाधान का इंतजार करना होगा।

बीसीसीआई को क्या मिलेगा

इस मामले में BCCI एक ऑपरेशनल क्रेडिटर है। उसे कर्मचारियों की सैलरी और फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को भुगतान के बाद ही कुछ मिलेगा। आमतौर पर, समाधान पेशेवर द्वारा स्वीकृत दावों का केवल एक हिस्सा ही वसूल किया जा सका है। सर्विसेज सेक्टर की कंपनियों में क्रेडिटर्स को बहुत कम बकाया मिला है। Byju’s पहले से ही निवेशकों के दबाव में है। फरवरी में, अधिकांश निवेशकों ने संस्थापक बायजू रविंद्रन को सीईओ पद से हटाने के लिए मतदान किया था।

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