उत्तर प्रदेश में तापमान में अप्रत्याशित बढोत्तरी ने किसानो की चिंता बढा दी है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम में तेजी से हाे रहा बदलाव गेहूं की फसल को प्रभावित कर सकता है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक लाख 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की खेती होती है। अबकी 48 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की पछेती फसल है। जिले में गेहूं की औसत उत्पादकता 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. आईके कुशवाहा ने शनिवार को बताया कि मार्च के पहले हफ्ते में तापमान बढ़कर 30 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। जबकि पिछले वर्ष इस दौरान 25 से 28 डिग्री सिल्सियस तक था। तापमान बढ़ने से गेहूं की बालिया दबाव के साथ निकल आई हैं। जिससे उनका दाना पतला और कम वजनदार होगा। अगले 15 दिन के भीतर ही गेहूं की फसल पककर तैयार हो जाएगी।
डा. कुशवाहा ने कहा कि यदि तापमान 25 डिग्री सेल्सियस होता तो अभी गेहूं में बालिया न निकली होती। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे खेतों में नमी रखने के लिए हल्के पानी का भराव करें। उससे नुकसान होने की कम संभावना रहेगी।
उन्होने कहा कि गेहूं की फसल में बाली निकलने के दौरान तापमान 14 से 19 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए और परागकण के समय 23 से 24 डिग्री, दाना पकने के दौरान 26 से 27 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। यदि तापमान इससे ज्यादा हो जाता हैं तो उसका असर गेहूं की उत्पादकता पर पड़ेगा।