केंद्र सरकार इस माह समाप्त होने जा रहे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए करीब 2.71 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च के लिए संसद की मंजूरी मांगी है। इससे राजकोषीय घाटे का दबाव बढ़ने की आशंका है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोक सभा में सोमवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों की दूसरी सूची को मंजूर किए जाने का प्रस्ताव करते हुए कहा , “इसके माध्यम से कुल 2,70,508.89 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय के लिए सरकार को अधिकृत किए जाने की मांग की गयी है।” उन्होंने कहा कि इन में शुद्ध रूप से नकद व्यय 1,48,133.23 करोड़ रुपये का रहेगा जबकि 1,22,374.37 करोड़ रुपये के व्यय की व्यवस्था इसी के बराबर मंत्रालयों/विभागों की बचतों तथा बढ़ी हुई प्राप्तियों और वसूली से हो जाएगी।
इन प्रस्तावों में 36,000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक अतिरिक्त राशि उर्वरक सब्सिडी के लिए और अतिरिक्त 33,000 करोड़ रुपये रक्षा पेंशन व्यय को पूरा करने के लिए मांगे गए हैं। अनुपूरक मांगों की दूसरी सूची की प्रमुख मदों में दूरसंचार और जीएसटी मुआवजे पर किया जाने वाला अतिरिक्त व्यय की भी शामिल है। दूसरी अनुपूरक मांगों का एक बड़ा हिस्सा विभागों की बचत और प्राप्तियों तथा वसूली में वृद्धि से पूरा होने का अनुमान है पर इनसे राजकोषीय घाटे का दबाव बढ़ने की आशंका भी है।
चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 प्रतिशत तक सीमित रहने के बजट लक्ष्य को बनाए रखा गया है।
गत पहली फरवरी को प्रस्तुत अगले वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में राजकोषीय घाटे को 5.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य है।